I always treated you as my future
मुझे लगता था लोग कैसे अपने प्रेमी प्रेमिका को दूसरों के पास जाता देख सकते हैं या कैसे खुद ही उन्हें दूसरों सेमिलवा देते हैं। उन्हे जलन नही होती या उनका प्यार सच नहीं होता..? मैं नही जानता था मेरे इन सवालों का जवाब मुझेमेरे अनुभवों में मिलेगा। अब लगता है उनकी भी कुछ मजबूरियां रहीं होंगी जो उन्हें अपने प्यार से समझौता करना पड़ा।
तुमने हमेशा समझा है मुझे और आज इस वक्त भी जब लोग नए साथी के साथ घंटों की बातें करते और अपनी खुशीको जी रहे होते है, उस वक्त भी तुम मुझे नही भूली, समझ रही हो, दिलासा दे रही। मगर ये बात तुम भी जानती हो इनदिलासों का कोई असर नहीं होने वाला मुझ पर और शायद मेरी जगह तुम खुद भी होती तो यही सब होता जो मेरे साथहो रहा है।
घर में इधर से उधर छिपता फिरता हूँ सबसे अपनी बेबसी लिए। दिन भर बस अकेले कमरे में पड़े खुद को सोच रहाहूँ,माँ बार बार बोलती है जाओ कुछ काम करो लेकिन कुछ करने को मन ही नहीं करता बस मन कर रहा है लिपट जाऊंउनसे और सारे आंसू जो कब से छिपा रखा है इन आँखों मे एक साथ उनके पल्लू पर निकाल दूं।
हम छोटे ही अच्छे थे बिना वजह मां से लिपट कर रो लिया करते थे और अब जब वजह होती हैं तो मन में हिचक है, अबनही रो सकते उनके सामने।
प्रेम इतना है कि मैं रो भी तुम्हारे सामने ही रहा हूं।
सच में कितने भाग्यशाली होते हैं वो लड़के जिन्हे अपने दुखों पर रोने के लिए मिलती है अपनी प्रियसी की गोद।जिंदगीबोझ लग रही इस वक्त मगर तुम चिंता मत करो मैं ठीक हूं क्युकी तुम हो मेरे पास। जब तक तुम हो आदित्य (बाबू) को कुछ नही हो सकता
I always treated you as my future, so I'm little bit broken
मैं तुम्हारे हर फैसले में साथ हूं।मैं नही जानता मुझे अभी भी ऐसा क्यों लगता है, हो सकता है ये तुम्हारी पहली भूल होजिसका एहसास तुम्हे कुछ महीनों बाद हो। इसलिए मैं इसमें भी तुम्हारे साथ बराबरी से खड़ा हूं। लेकिन इस बार जबतुम छुट्टियों में अपने घर आओगी न और शायद अपने महबूब सनम से अयोध्या जाने को बोलोगी तब शायद तुम्हें मेरीयाद आयेगी, हो सकता है कि मेरी कमी भी महसूस हो क्योंकि मैं नहीं रहूंगा वहाँ पर ना तुमको दर्शन कराने के लिए, श्रृंगारहाट चौराहे पर तुमको तुम्हारा हाथ पकड़ कर सड़क पार कौन करवायेगा,तुम्हारे साथ कनक भवन में मैं नहीं बैठना वाला शायद तुमको वहां पर शांति भी ना मिले ,हर बार रामजी की परिक्रमा के साथ मेरे ना होने का एहसास तुमको कहीं रुला ना दें लेकिंन तब भी तुमको चुप कराने के लिए मैं नहीं मिलूंगा
अयोध्या की तमाम उन गलियों और मंदिरों के सामने से जब तुम गुजरोगे तो मेरे प्यार और तुम्हारे लिए मांगी गई हरदुआ की खुश्बू तुमको महसूस जरूर होगी क्योंकि रास्ते मे पड़ने वाले हर मन्दिरो में तुम्हारे खुशी के लिए सर झुकायाहै...
खैर अब ना उतना परेशान नही रहता क्योंकि जिंदगी ने बहुत कुछ सीखा दिया है,अब देखो ना मैं तुम्हारे पुराने मैसेजेसभी नहीं पढ़ता, तुम्हारी फोटोज़ को अपने फ़ोन की गैलेरी में देखे हफ़्तों गुजर गए हैं लेकिन हां कभी कभी ना याद जरूर आ जाती है किसी ना किसी बात को लेके लेकिन फिर दिल को कहीं और लगाने की कोशिश करता हूँ.....
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