बीतें लम्हें

 जीवन के रास्तों पर आगे बढ़ते जब कभी पलटता हूँ तो दिखते हैं दू….र पीछे छूटे अनगिनत दृश्य। ज़िंदगी कितनी दूर ले आई ! कितना कुछ रह गया, कितना कुछ फिसल गया! क्या-क्या भूलूँ और क्या-क्या याद करूँ! फिर भी  कुछ चीज़ें ऐसी होतीं हैं जो हम मरते दम तक नहीं भूल पाते। जब-जब नज़र डालिये, दिल के सुकोमल मृदुल कोनों में वे गरिमामयी मुस्कुराती हुई मिलतीं हैं।

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