ज़िन्दगानी
म्र ना बड़ी अजीब चीज़ है .... खासकर ये 21 से 30 वाली ... साला हर मिनट में अलग रंग ले लेती है । ये ऐसा वक़्त है जब जिम्मेदारियां , शौक और अस्तित्व में से किसी एक को चुनना पड़ता है और हम मिडल क्लास लोग आदर्श बनना ही चुन पाते हैं या हमें चुनना ही पड़ता है हमारे लिए बाकी ऑप्शन जैसे एक शो पीस की तरह रखे होते हैं । जब पहली दफा परिपक्वता की सीढ़ी पार कर 21 की उम्र पर पहला कदम रखते हैं तो चहक रहे ...
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