कोई ख़ास
कोई ख़ास
लोग सही ही कहते हैं कि ज़िंदगी जीना इतना भी आसान नही होता है अब कभी कभी लगता है कि सही ही कहा होगा किसी ने
जैसे तैसे ज़िंदगी ट्रैक पर आने लगती है तो कोई ना कोई ट्विस्ट आ ही जाता है
तुम कब आए और कब चले गये ये तो पलकें गिरने और उठने से भी जल्दी था
ख़ैर आज लगा की कोई किसी के लिए इतनी जल्दी कैसे ख़ास हो जाता है
पता है इश्क़ की सबसे खूबसूरत क्वालिटी क्या होती है ये हो भी जाता है पता ही नही चलता…
अब पता नही अपने इन एहसासों को प्यार का नाम दूँ या ना दूँ लेकिन हाँ शायद ये एहसास सबसे तो नही हो सकते ना
फिरहाल कभी कभी मुझे लगता है कि
इश्क सबसे खूबसूरत तब होता है जब दो दिलों को कोई पसंद आने लगता है…एक लब्ज के सुनने पर जो मुस्कान होठों पे आती है "बबुवा" जो चमक आंखों में नजर आती है जैसे करोड़ी बिजलियां दौड़ने लगी हो आंखो में।। जैसे एक हल्की आहट से तितली उड़ जाती है वैसे ही इश्क की शुरुवात भी हल्की सी आहट पे खिल जाती है।। मैं कैसे लिखूं इश्क के इस अहसास को जब दो दिलों में आहट होती है प्रेमी के दिल में एक अजब सी चंचलता होती है मन में,, लबों से निकले एक एक शब्द मन को धीरे धीरे पसंद आने लगते हैं ,जैसे शांत जल में कोई पत्थर फेंके तो कंपन सी उठती है वैसे इन दो इश्क की राह पर कदम रख रहे पंक्षियो में लहर उठती है दोनों तरफ लबों से निकलते हुए एक एक शब्द मानों कामदेव के बाण जैसे प्रतीत होते जो मन की अंतर्वेदना को विह्ल करते है,, उस समय का एहसास तो शब्दों में हो ही नही सकता।। तब इन तितलियों की तरह कोमल मन प्यार की उत्कृष्ट रचना जन्म ले रही होती…जैसे सूर्य की पहली किरण का स्पर्श पाकर कुमुदनी खिलने लगती है,,, ओस की बूंद उस कुमुद्नी की कोमल को पत्तियों पर जो अठखेलियां,, जो सिहरन करती,,वैसे ही इन दो प्रेम में कदम रख रहे कोमल ह्रदय वाले प्रेमियों में होती है जिनमे ना कोई लालसा होती ना कोई लालच।। इस समय सबसे खूबसूरत पल होते है।।शायद यही होता है इश्क यही होता है प्यार …।।
इस समय की कल्पना करना भी इश्क की तौहीन होगी क्योंकि इस वक्त प्रेम पवित्र होता है यही होती है प्रेम की सबसे खुबसूरत दास्तां जो किसी भी प्रकार नही पाई जा सकती है ये प्राप्त होती सिर्फ मन की पवित्रता में…..
अब इन सबको प्यार का नाम दिया जाए या इश्क़ का
लेकिन इन एहसासों में जो मज़ा है ना वो सब महसूस नही कर सकते हैं
मेरा तुम्हारे साथ ये सफ़र छोटे से भी छोटा रहा लेकिन हाँ तुम मेरी ज़िंदगी में ख़ास बन गए हो
अब जब हालातों के आगे हम हार गए तो प्लीज़ अपनी आदतों में सुधार लाना ,खुद को लेके सेल्फ़िश होना शायद सही हो लेकिन परिवार को लेके बिलकुल नही
और वो भी जब आपके पास ऐसे पापा हों जो दुनिया की सारी ख़ुशियाँ आपको लाके देने का जज़्बा रखते हों तो फिर ज़िंदगी को उन्ही के नाम कर देना चाहिए क्यूँकि ये ज़िंदगी भी तो आख़िर उन्ही की दी हुई है ।।
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