साथ और प्रेम ❣️

साथ और प्रेम ❤

अक्सर सुना है मैंने की भाव मे होकर व्यक्ति अपनी भावनाओं और वास्तविक प्रेम से कहीं दूर चला जाता है और उसी मनोस्थिति को वह प्रेम का नाम दे देता है जो की एक स्वभाविक सी प्रक्रिया है और सहज भी परन्तु क्या ईतना ही सरल होता है ये प्रेम..

मै चाहे जितना प्रयास करूँ सीधे शब्दो मे इसे परिभाषित करने का परन्तु ये संभव नही है क्यूँकि प्रेम किसी के लिए साथ रहना और किसी के लिए प्रेमी या प्रेमिका के चेहरे को देख लेना भर और सभी ने अपने अपने मानक तय किए हुए है प्रेम के और इसकी परिभाषा के..❤

परन्तु मै जिस प्रेम को लिख और महसूस कर सकता हूँ या जिस स्वरूप को मै मानता हूँ या मेरी जैसी विचारधारा वाले व्यक्ति होते है उनके लिए समर्पण आवश्यक होता है रिश्ते या प्रेम मे जो की प्रारंभ मे प्रचुर मात्रा मे होता है मगर जीवन की विषम परिस्थतियों के थपेडो से वह छिन्न भिन्न होता दिखता है..

मेरी सोच और शब्द सिर्फ ईतना कह और महक सकते है की प्रेम वही है जिसमे ना किसी को पाने की लालसा और ना किसी को सिर्फ स्वंय तक सीमित रखने की भावना हो..मै एक सामान्य सी सोच का लडका हूँ परन्तु जब महसूस करना हो तो मै महामानव भी हूँ भावनाओ को लेकर जो की कुछ भी है मेरे अंदर सम्भवतः वो सब मेरे परिवार की वजह से है ❤

प्रेम मे स्वार्थ नही प्रेम मे वासना नही प्रेम मे लालसा नही और ना ही लेशमात्र का भय..वह स्वछन्द है सर्वोपरि है सर्वदा था और रहेगा और रहेंगी वही वास्तविक भावनाएं और लगाव और एक दूसरे के साथ रहने की अनगिनत संभावनाए और उन पर रोज परत दर परत चढती हज़ारों खाव्हिशें बेहिसाब ❤

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बीतें लम्हें

ज़िन्दगानी

I always treated you as my future