मैं और प्रेम 🖤
मै और प्रेम ❤
ये जो मै लिखा है वो अंहकारवश नही बल्कि सत्य की वजह से लिखा गया है क्यूँकि मै और मेरी तरह के हर लडके की एक बहुत बडी दुविधा होती है जीवन मे..शायद हम उनमे से है जिनके लिए प्रेम सिर्फ समय व्यतीत करना किसी के साथ या रहना ही उद्देश्य नही होता है
हम लोग वो है जो हर बात हर जज्बात और हर वस्तु या घटना को ज्यादा महसूस करते है गहराई से और फिर चाहे वो प्रेम हो या घर पर माता पिता की ग़ैरमौजूदगी मे आने वाली जिम्मेदारी हो या फिर किसी लडकी से किया गया प्रेम हो या फिर आने वाले जीवनसाथी की कल्पना हो..❤
सभी कुछ असीमित महसूस करते है और हर वस्तु या घटना को लेकर ईतनी गहराई और संजीदगी से सोचते या देखते है परन्तु सत्य ये भी है की हम जैसै लडको के अस्तित्व को ये संसार नकार चुका है बहुत पहले ही और हमे बेवकूफ और काफी अनर्गल नामो की संज्ञा दी जाती है और बहुत कुछ बोला और सुनाया जाता है यार दोस्तो के मध्य और समाज के मध्य और ना जाने कितने अनगिनत अवसरो पर..
परन्तु जिस स्तर पर हम प्रेम और प्रगाढ संबधो की समझ रखते है उससे दो ही बाते होती है की या तो हमे असंवेदनशील कहा जाता है या फिर नकारात्मक रूप से हमे रिश्तो की बेकद्री करने वाला उच्चारित किया जाता है परन्तु काश ये सत्य होता..दरअसल समस्या ये है की हम किसी को विवश ना करके उसे स्वछंद विचरने देते है और यही सामने वाले की पीडा का कारण बनता है..❤
हमे प्रेम को बांधकर रखना सिखाया नही है और हमारी समझ इस तरह की है की हमे प्रेम की परिभाषा निर्मल जल सी लगती है जो कभी दूषित नही होता परन्तु यही तो दुख है की इसे समझने वाले बेहद कम है और पढने वाले उससे भी कम और फिर अन्त तो स्वभाविक सा है की इन्हे कहाँ फर्क पडता है किसी के जाने या ना होने से..
परंतु सत्य बिल्कुल विपरित है हमे ना तो अनुमति है भावो को खुलकर अभिव्यक्त करने की और ना ही प्रेम को स्वीकार कर उसे जीवनपर्यन्त निभाने की क्यूँकि चौबीस पच्चीस बरस का हो जाने पर आपसे उम्मीद की जाती है की आप एक संजीदा व्यक्तित्व को निभाये और जब निभाते है तो वही कहानी हर रोज..❤
ये जीवन रिसाईकिल की तरह कार्य करता है लडके के जीवन मे और हमे ताउम्र तलाश होती है हमारे या मेरे प्रेम को समझ साथ निभाने वाले जीवनसाथी की और कुछ अहम व्यक्तियों की..जो की सिर्फ एक स्वप्न सा है और शायद रहेगा..❤ना जाने कब तक....
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