“मेरी कहानी”
मेरी कहानी ❤
मै जब कुछ थोडा बहुत समझ आता है तो लिखता हूँ और विषय मेरे स्वयं के चुने हुए होते है और मै शब्द भंडारण पर भी ध्यान देता हूँ यूँ तो परन्तु फिर भी किसी को बहुत अच्छा लगता है और कोई नजरदांज कर जाता है..ये अपनी अपनी पसंद का विषय है
मै जब अपने जीवन को देखता हूँ तो मेरा सबसे पहले मेरा प्रेम मुझे याद आता है जो सिर्फ आत्मिक रहा क्यूँकि दैहिक पूर्ति की समझ और इसे उस स्तर पर ले जाने की बुद्धि का अभाव था मुझमे और मै जब कभी उसके साथ भी रहा जो समय बिताया साथ और बिना किसी व्यवधान के..तो भी मुझे शारीरिक पूर्ति का लेश मात्र भी मन मे नही आया..❤
आज परिपक्वता की ओर बढते समय वो सब बाते और वर्तमान हालात को देखकर खुद को जैसै ठगा सा महसूस करता हूँ की आखिर मेरे पास मौका(अपोरचुनिटी) जिसके दैहिक पूर्ति मे चांस कहा जाता है..मैनै वो सब क्यूँ नही किया था उसके साथ..प्रश्न आज के दौर मे स्वभाविक भी है..
परन्तु जब मै प्रेम को आधार मानकर सोचता हूँ तब लगता है की जो मेरा निर्णय था हालांकि जिसमें उसका भी साथ था वो उचित था क्यूँकि हमने कभी भी किसी के प्रेम को एक निश्चित दायरे और दैहिक पूर्ति से नही देखा था..वो समर्पित थी और आज किसी और के लिए समर्पण है उसका,जो की एक अलग विषय है..❤
कुछ कहेगें की कुछ किया नही इसलिए ही तो चली गयी या की करना चाहिए था..दोनो आवश्यक है वरना चली जायेगी(जैसा अक्सर पढा और सुना जाता है यहाँ) परन्तु मेरा हो सकता है मै अलग चश्मे से देखता हूँ चीजो को या प्रेम के विषय को..
मेरे लिए वो मंदिर मे स्थापित एक प्रतिमा से कम नही थी..जितना और जब उसके साथ रहा मै, हर बार मैनै खुद को आह्रालादित महसूस किया..उसके लिखे प्रेम पत्रो मे खूशबू तलाशना और उसके स्पर्श को दिनो दिन तक महसूस करना और उसको देखने भर का जूनून..❤
खैर मैनै उसे भोग की वस्तु ना मानकर..उसके स्पर्श उसकी उपस्थिति और उसकी बातो को ईश्वर के समकक्ष रखा था..शायद कम उम्र का प्रेम ऐसा ही होता होगा..मुझे आज भी नही पता क्या है प्रेम मगर किसी बहाने से उसके घर जाना और मुलाकात करना..उसके चक्कर में दिन भर में हजारों झूठ बोलना ..वो प्रेम पत्र और उसकी दी हुई यादें भी सहेज रखे है..❤
मै आज भी प्रेम मे हूँ क्यूकिँ प्रेम की प्रगाढता विशाल और अनन्त है और सदा सर्वदा होगी उनके लिए जो इसे महसूस कर सकते है..❤
Very Good Sir
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
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