अधूरा इश्क़ भाग -1

अधूरा ईश्क ❤

कुछ मोहब्बत की कहानियो को वक्त की उडती धूल ने धुंधला जरूर कर दिया है मगर ऐहसासो की मौत होना इतना सरल कहाँ..वो लडकी जिसने कभी बस यूँ ही चलती जिंदगी मे दबे पाँव दस्तक दी और मेरा सर्वस्व बस वो ही बन गयी..ये  जरूरी तो नही की ईश्क की हर कहानी उकेरी जाये..

स्याह होते अक्षरो और बदरंग होते डायरी के महज चंद पन्ने उनके साक्षी हो..और कितना कुछ है मेरे इस जहन मे जो कभी मै बयां ना कर सका..एक टीस है जो सिर्फ तेरे हाथो मे अपना हाथ आज भी देखना चाहती है..तुझे सिर्फ और सिर्फ खुद के लिए चाहना कुछ गलत तो नही..मगर अब शायद वो वक्त भी नही..❤

मेरे शब्दो मे इतना सामर्थ्य नही जो मेरी हर साँस के साथ आती तेरी उस खूशबू और तेरे होने को बता सके..समझा सके..माना की अब दूरियाँ तो नही है मगर अब तू मेरा भी तो नही..दिल के बोझ और उठती पीड को मैनै जैसै तैसै सँभाला है..जाते देखा है मैने तुझे किसी गैर के साथ सात फेरो मे बँधकर..

यूँ ही तो नही मेरी मुस्कुराहट मे छुपा दर्द मैनै सँभाला है..माना की रिश्तो की इस डोर मे जब जब तेरा मुझसे यूँ हर बार सामना होता है..नजरे चुरा लेता हूँ मै क्यूँकि वो हाथ अब किसी और के हाथ मे होता है..कैसी कसमकस है मेरी जिंदगी मे की हर बार तुझे देख गैरो के साथ खुद को दर्द से निकाला है..❤

मेरे ह्रदय के भीतर चीखती इस पीडा को..इस कसक को क्या नाम दूँ..कैसे कह दूँ की हाँ ईश्क नही है मुझे अब..तेरे हर साल आने वाले जन्मदिन की तुझे हो बधाई..मगर अब मेरी नही किसी और की अमानत लगती हो..दुआ ही होती है मेरी तेरी खुशी के लिए..

मगर हाँ अब किसी और के लिए लाल जोडे मे सजती सँवरती हो..ये कैसा ईश्क है जो पूरा होकर भी पूरा नही..रोज तुम्हें देख सकता हूँ मगर छूने का हक नही..क्या बताऊँ किस कदर कट रही है जिंदगी..तू है मेरा मगर मेरा है भी नही..❤

तेरी याद..❤

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बीतें लम्हें

ज़िन्दगानी

I always treated you as my future