“मैं लिख नहीं पाता”
मै लिख नहीं पाता❤
कभी सोचती हो कि किस तकलीफ से मुझे शब्दों का चुनाव करना पडता है जब मै एक तुम्हारे लिए लिखने बैठता हूँ..समझ नही पाता की कहाँ से लिखू..कितना लिखूं और क्या क्या लिखूं आखिर...
तुम्हारे झुमके का जिक्र करूँ जो मुझे बरबस अपनी ओर खींचता था या उन आँखो का जिक्र करूँ जो मुझे देखकर बस देखती रह जाती थी..उन बालो की लटो का जिक्र जो आँखो पर आती थी या उन पलको का जिन पर ख्वाब थे बहुत से..❤
जिक्र उस खूशबू का जो तुम्हारी मौजूदगी बताती थी..या जिक्र तुम्हारी उस हरे रंग की टी शर्ट और काले रंग वाली शार्ट स्कर्ट का जो मुझे यूँ बेचैन करने लगता था या फिर आँखो मे लगे काजल का..?आखिर ऐसा क्यूँ है की जितना लिखता हूँ..कम ही लगता है..❤️
शब्दो मे वो सामर्थ्य क्यूँ नही जो बता सके की क्या महसूस करता था जब करीब आती थी तुम..जिक्र तुम्हारे शरीर की उस गुलाब जल जैसी खूशबू का ..या जिक्र तुम्हारी उस मादक मुस्कुराहट का..आखिर कहाँ तक..कब तक और कितना..बहुत तकलीफ होती है जब शब्द नही मिलते..❤
जिनसे ये बता सकूँ की आखिर तुम क्या हो मेरे लिए..ऐसा क्यूँ है आखिर? ये सवाल अक्सर रह जाता है मेरे जहन मे..कौनसा कोना है आत्मा का जो छू लेने भर से मै पूर्ण समाहित हो जाऊँगा? ❤
आह! ये मेरी तकलीफ तुमको लेके कम क्यों नहीं होती ❤
“ज़िन्दगी”
जान अब तुम भले ही किसी दूसरे की हो
पर अपना ख्याल रखना क्योंकि जिंदगी अब भी तुम मेरी ही हो
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