“मेरा लिखना तुम्हारा पढ़ना”
तुम्हारा ❤
मेरे लिखे शब्दो को एक तेरा इस कदर गौर से पढना..हर बार मुझे मेरे ही लिखे शब्दों मे अपनी बात कहकर नयापन लाना..हर बार निखर कर मेरे सामने मेरी ही कल्पना को साकार कर देना..❤
ईतना ठहराव..ईतनी गहनता..और तुम्हारे प्रेम की अद्वितीय प्रगाढता मुझे बोझिल होने से रोकती तुम्हारी ये बाते..कितना सुखद अनुभव है जब मेरे लिखे शब्दों को मायने तेरी बातो से होते है..
सिर्फ पढना तो हर क्षण हर किसी से महसूस किया है मैनै..मगर एक तेरा बिना कुछ बोले मुझे समझा देना..मेरी ही हर कृति को मुझसे बेहतर समझना..मेरी हर पीडा और प्रेम को यूँ विभाजित कर उसमे से सिर्फ पीडायुक्त प्रेम को चुनना..❤
विरह..प्रेम..और उस हर ऐहसास को मुझसे बाँटना..जो कभी हमने साथ मे जिया..महसूस किया..बस तुम पढो और मै लिखता रहूँ..और बस तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा होकर रहूँ..❤
काश..कुछ ऐसा हो..❤
इतवार और तुम्हारा ख्याल ❤
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