यूंही
मैं क्या था तुमसे मिलने के पहले एक सीधा साधा सा लड़का जिसे ना बोलने का ढंग , बिना अंडर शार्टिग के शर्ट पहनने वाला लड़का , किसी लड़की से बात करने से सौ दफा सोचने वाला लड़का और जिसे इश्क़ का "इ" भी नहीं पता वो लड़का ।।
फिर एक दिन तुम्हे देखा ,वो शाम को मेरे सामने तुम्हारा यूँ मुझे मिल जाना ,तुम्हारे आने के बाद से जिंदगी को जिंदगी के आने का आभास हुआ और फिर तुमसे मिलने से पहले मुझे इश्क़ का कुछ खास मतलब मालूम नही था,,
उसे मैं तुम्हारी आँखों से ही पहचान पाया था।
वो जब गुलाब जल तुम अक्सर
लगा लेती थी अपने सूट के साथ
वो इश्क़ का अनुस्वार मालूम होता था मुझे।।
मैं अपनी मुस्कान को अक्सर अपनी
होंठो तले दबा लेता था वैसे ही जैसे
वो हल्का सा काजल तुम्हारी कातिलाना नज़रों को नियंत्रित करता था।।
तुम्हारी मुस्कुराहट मेरे दिल की धड़कन बढ़ा देती थी ।।
वो बोलती आँखे,,शरारती आँखें
होश उड़ाती आँखे,,झुकती आंखें
किसी महत्वपूर्ण शीर्षक पर ख़ामोश आंखें,,
उन आँखों में देख कर ही तो
मैंने जीवन मे पहली बार महसूस किया था
इश्क़ को,,
और मान भी लिया था कि बस यही है इश्क़ ।।
तुम्हारा मुझे बीच मे टोकते रहना , मुझे बार बार हीरो बोलते रहना,सब याद आता है कभी कभी ना खुद ही आंखों से आँसू निकल कर मुझसे पूछते हैं
खैर जाने दो अब इन बातों का कोई मतलब थोड़ी ना है
“तुम खुश बस इसी बात से मैं भी खुश हूं”
❤️❤️❤️❤️❤️
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