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अधूरापन

अधूरापन  वैसे तो हम दोनो की जिंदगी धीरे धीरे पूरी हो रही है,,,लेकिन बहुत कुछ अधूरा रह गया हम दोनों के बीच में।। हमारी बातें अधूरी रह गई,,कभी पूरी न हो सकी क्योंकि तुम हमेशा बात पूरी होने से पहले ही सो जाया करती थी फिर वो बात अधूरी रह जाती थी,, हमारी लाइफ में बहुत अधूरापन,, कुछ भी पूरा ना हो सका,, न हमारा प्यार ,,ना हमारे सपने,, ना वो ख्वाब जो हम दोनो ने मिल कर देखे थे,,, कितने हसीन लगते थे तब ये ख्वाब जब दोनो साथ मिल कर बुन रहे थे,,वो बर्फीली वादियों में अपना घर बनाने का सपना ,, उन वादियों में अपना जहां बसाने का सपना,,, कितना हसीन वक्त था कि तब ख्वाब तो साथ देखते थे लेकिन आज तो अकेले भी ख्वाब ना आते है आती तो तुम्हारे साथ बिताए गए वक्त की यादें,, वो भी अधूरी ही आती है एक अधूरापन लेकर।।। हमारे अधूरे हो रह गए वादों को याद दिलाती है जो रह गए अधूरे ही,, कैसे भूल  जाऊं इन राहों को जिन राहों पर हम साथ घुमा करते थे कैसे भूल जाऊं लम्हों को जो हम साथ बिताया करते थे,, सब अधूरे ही रह गए,, एक अधूरापन छोड़ कर खो गए।। वो लम्हे तो लौट कर नहीं आते है लेकिन उन लम्हों का वो  अधूरापन रह गया...

“वादें”

वादें ... याद है ना….. मैंने भी तुम्हारे सीने पर सर रख और हाथों में हाथ थाम खुले आसमानों के नीचे तुम्हारी खुली छत पर ना जाने कितने वादे किए थे तुमसे ...तुमने हर वादे के बदले हमेशा ही मुझे दिया था एक निश्चिंत मौन ...उस मौन का अर्थ आज तक समझ नहीं आया मुझे.... वादें.... खट्टे मीठे वादें .., हमेशा स्माइल करने का वादा,एक दूसरे से रूठकर कुछ ही मिनटों मान जाने का वादा , उम्रभर साथ रहने का वादा, शहर से दूर कहीं किसी कोने में अपना आशियाना बनाने का वादा ..खुद में डूबकर मुझे पा लेने का वादा ...शादी के बाद अपने घर से जल्दी लौटने का वादा ...हमेशा ही हाथ थामे रखने का वादा ..सीने से लगे रहने देने का वादा ...उफ्फ... कितना अजीब है ना बिना गारन्टी के ज़िन्दगी को किसी के पास गिरवी रख देना... और उस सख़्स का उसे खो देना । मैंने भी तो यही किया था ..गिरवी रखा था खुद को .....अपनी ख्वाहिशों को , ख्वाबों को ..सिर्फ और सिर्फ इन्हीं वादों के बदले  आज उन वादों का बोझ महसूस हो रहा है मुझे.. इनका वजन इतना है कि मैं इनके बोझ से दबा जा रहा हूँ । अब इन्हें उम्रभर ढोना है मुझे ....उम्रभर... अकेले ...। मुझे रह रहकर सं...

अनकही बातें -1

मेरी फोन गैलेरी के एक अनचाहे फोल्डर में कुछ पुरानी तस्वीरे है तुम्हारी...जिनसे हर रोज़ बातें करता हूं मैं.... जब सैड सांग्स मेरे दिल मे कसक नही जगा पाते तब तुम्हारी कॉल रिकॉर्डिंग्स सुन लेता हूं...तुम्हारा नम्बर जिसपर ना जाने कितने महीनों से बात नही हुई, हर रोज़ उसे एक बार डायल करने की कोशिश जरूर करता हूं लेकिन कॉल डिटेल्स देखकर वापस आ जाता हूँ और कोसता हूं खुद को कि मैं अभी तक इसे भूला क्यों नही...जब किसी की तरफ दिल ज़रा सा झुका जाता है तो तुम्हारी आखिरी चैट और मैसेजेस पढ़ लेता हूं ये मुझे एहसास दिलाते है कि किसी से मोहब्बत क्यों नही करनी चाहिये...तुम्हारे शहर का नाम सुनते ही याद आ जाते हैं मुझे वो सारे ख्वाब जो उसी शहर की किसी ट्रेन के नीचे कुचल कर दम तोड़ चुके है... अब व्हाट्सअप का लास्ट सीन हाईड करके नही रखता मैं क्योंकि तुम्हारे दिए जख्मो को छुपाने के सिवा अब छुपाने को कुछ नही है मेरे पास... वो पल जब दशहरे के करीब आँगन में बारिश में तुम्हारा भीगना उस समय दुनिया की सबसे सुंदर लड़की लग रही थी तुम, तुम्हारी वो हरे रंग की टी शर्ट और उस पर काले रंग की स्कर्ट ,और उस पर सोने से सुहागा तुम्हारे...