अधूरे से थोड़ा ज्यादा इश्क़
अधूरे से थोड़ा ज़्यादा इश्क़
सुनो, आज मेरे पास कहने के लिये आज भी कुछ नही है बस इसी बात पर हमेशा या रोज ही कहिये हमारी आपस मे थोड़ा-बहुत बहस व झगड़ा भी हो जाया करता था थोड़ा-बहुत नही उससे भी ज्यादा ।
मेरे जीवन में तुम पहली थी शायद आखिरी भी क्यो कि जो लम्हा हमने बिताये उसमे जिम्मेदारी,वफादारी,परवाह फिर कही जाकर स्नेह व प्रेम था जो भी था अटूट था,अभिन्न था,अतुलनीय था अकल्पनीय था ।
बिन बारात के तुम मेरी पत्नी बन गयी बिना सेहरा के मै तुम्हारा हमसफर,बिना डेट के हम दोनो डिनर भी गये ,बिना गाड़ी के हम दोनो लांग ड्राईव पर गये,तुम माँ भी बन गयी,तुमने कल्पना में मेरे बच्चो को भी पाले, तुम बुढ़ी भी हो गयी सब कुछ महसूस भी किया बातो बातो में,बात प्रेम की है तो उसे भी जान लो आजकल के आधुनिक शाहजहां, लैला-मजनू, हीर-रांझा की तरह नही जीवन संगिनी से भी बढ़कर थोड़ा सजावट भरे शब्दो मे कहे तो महादेव जी की पार्वती जी के भांति अर्धांगिनी के भाँति अंश भर ही सही अपने जीवन में दोनो ने एक दूसरे को स्थान दिया।
आज कल के आशिको को शायद ही पता होगा या ऐसा महसूस होता भी है कि नही लेकिन हाँ मैने तुम्हे बिना साक्षात देखे,बिना स्पर्श किये, बिना इज़हार के भी सालो अपने हृदय मे स्थान दिया,स्नेह दिया,सम्मान दिया।
तुम्हारे दुख मेरे दुख,तुम रोये तो मै रोया,तुम खुश तो मै खुश, तुम्हारी जीत मेरी जीत,तुम्हारी हार मेरी हार,तुम्हारे अपने मेरे अपने,तुम्हारे मित्र मेरे मित्र,तुम्हारी पसन्द हमारी पसन्द, तुम और मै एक हम की तरह रहे।
तुम कभी आपा खोयी तो मै समझाया,मै बहका तो तुमने सम्भाला शायद हम दोनो एक दूसरे के अभिवावक थे,
न तुम आधुनिक प्रेमिका बनी ना मै 21वी सदी का आशिक। फिर भी इक्के दुके
दोस्तों के बीच हमारी बॉन्डिंग की कहानी हमेशा जुबान पर रहती थी।
दोनो की एक शर्ते थी कि पहली प्रथमिकता परिवार रहेगा फिर हमारा रिश्ता, मंजूर भी था दोनो को और ये होना भी चाहिए और तो और हमारे रिश्तो की शुरूआत कहिये या बातचीत का सिलसिला भी तो इसी महत्वपूर्ण विषय- "करियर नौकरी जीवन इसी से शुरू हुई थी”
मुझे याद है घण्टो तो बहस किया करते थे हम और देखो तो ईश्वर की खूबसूरती जिस रिश्ते की शुरूआत बातचीत से शुरू ही ना हुई वो रिश्ता पंचवर्षीय से भी बड़ा हो जायेगा ऐसा कहा होता है यहाँ हमारे समाज मे तो कुछ रिश्ते पिज्जा के बिल न देने या कहिये मोबाइल रिचार्ज ना कराने या फिर काल के वेटिंग पर जाने मात्र से ही टूट जाते हो।
लेकिन हमने जीया और हाँ सिर्फ जीया ही नही जी भरके जीया। मजाक नही होता कल्पना मात्र से प्रेम करना।।
लेकिन देखो ना हमेंशा साथ देने का वादा करने वालो के नसीब मे तो जुदाई कैसे स्थान बना लेती है इतिहास साक्ष्य देता है अनेको उदाहरण भी है चाहे अपने आराध्य राधा-कृष्ण को ही देख लो अटूट प्रेम,आजीवन साथ का स्वप्न लिये भी दोनो एक दूसरे को न मिले हम तो नश्वर है इनके अंश मात्र भी मिले तो भी बहुत मिले।
हमारे या कहा भी जाता है जोड़ी तो ईश्वर ही बनाता है उसके ही मर्ज़ी से पत्ता भी हिलता है तो फिर अगर हम भी आपस मे मिले तो उसकी ही मर्जी रही होगी अब उसकी लेखनी का लेख तो घटित होने के पश्चात ही ज्ञात होगा।
स्थित बिगड़ी भी तुम्हारे हिसाब से तो बहुत से भी ज्यादा बिगड़ी मेरे हिसाब से कम लेकिन हाँ रिश्ते बिगड़े और बिगड़ते गये देखो तुम्हे नफरत भी होने लगी, तुम बँधी हुई महसूस करने लगी, अटूट प्रेम शक मे भी बदल गया जो शायद शक एक तरफा ही था मेरे जीवन के पन्नो पर तो तुम्हारे लिये शक था ही नही ना होगा।
तुमने दूर जाने का मन भी बना लिये बहुत मजबूत बनके निर्णय भी ले लिया और अपना आदेश सुना भी दिया था,हाँ ये भी कहुंगा ये क्रम भी कई बार चला, तुमने अवसर भी दिया मैने कोशिश किया लेकिन कामयाबी तो मेरी किस्मत मे ही नही है, तुम तो उससे भी बड़ी थी तो कैसे रह पाती मुझ जैसे अभागे के जीवन में। और जब जिसका ईश्वर ही साथ ना दे तो मनुष्य कैसे साथ दे पायेगा। इसीलिए तो कई बार सपने के टूटने पर बिखरा था मै तुमने ही तो सम्हाला था, लेकिन अब नही हो पायेगा तुमसे शायद क्यू की बहुत दूर जा चुके हो तुम इतना की शायद हही कभी हम मिलें
मै स्वतंत्र हूँ तुम्हे लगेगा लेकिन मै हमेशा बंधा रहूंगा तुम्हारे एहसानो के तले,स्नेह के तले,अभागे को कुछ सालो के लिये ही सही भाग्यवान बनाने के लिये।
तुम्हारे जाने से मुझमें बाहर से कोई अंतर नही आया और देख लो पहले से मजबूत नजर आ रहा होऊँगा,हाँ लेकिन अन्दर से चूर चूर हो ही गया हूँ,मजबूती भी रेत बन गयी है लेकिन याद रखना मै तो दो बनके कभी रहा ही नही एक ही समझता था तो एक कैसे अलग होगा और अगर एक अलग होगा तो पुनः फिर कभी किसी का हृदय से न होगा।
तुम्हारा कालिंग नम्बर अब डिलीट कर दिया हूँ क्यो कि सिर्फ वह ही डिलीट कर सकता हूँ तुम्हे नही।
हालाँकि तुम्हारी फ़ोटोज़ मोबाइल के किसी कोने में दुनिया की नज़रों से चुरा कर अभी भी रखा हूँ ,ऐसा डर के नाते नही बस तुम्हारी इज्जत के नाते
यह तो मेरी कहानी है वो भी एकतरफा!!!
तुम्हे लिखने की क्षमता नही तुम्हारे स्नेह को लेखनी से कागज से उतारने की हिम्मत भी नही और हाँ इतना तो कह ही सकता हूँ मुझे अब खुश रहने का भी अधिकार नही तुमको हद से ज्यादा रुलाने की सजा तो मिलनी ही चाहिये लेकिन तुम्हे दुखी होने का अधिकार नही तुम खुश रहना, और सुनो भगवान के दिए इस नायब तोहफ़े को हमारी भी कहानी सुनाना बताना उसको की कैसे एक गावं के लड़के के अंदर कितने बदलाव किए तुमने ,सुनाना की आज के जमाने का होके भी इश्क़ पुराने जैसे किया…..
सुनो आज तुम भले की किसी और की हो चुकी हो
पर तुम्हारे लिये इस हृदय का द्वार खुला है और खुला ही रहेगा।
एक सच यह है कि हमारा प्यार अधुरा तो नही लेकिन पूरा भी नही!!!!!
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