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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कोई ख़ास

कोई ख़ास लोग सही ही कहते हैं कि ज़िंदगी जीना इतना भी आसान नही होता है अब कभी कभी लगता है कि सही ही कहा होगा किसी ने  जैसे तैसे ज़िंदगी ट्रैक पर आने लगती है तो कोई ना कोई ट्विस्ट आ ही जाता है  तुम कब आए और कब चले गये ये तो पलकें गिरने और उठने से भी जल्दी था  ख़ैर आज लगा की कोई किसी के लिए इतनी जल्दी कैसे ख़ास हो जाता है  पता है इश्क़ की सबसे खूबसूरत क्वालिटी क्या होती है  ये हो भी जाता है पता ही नही चलता… अब पता नही अपने इन एहसासों को प्यार का नाम दूँ या ना दूँ लेकिन हाँ शायद ये एहसास सबसे तो नही हो सकते ना फिरहाल कभी कभी मुझे लगता है कि  इश्क सबसे खूबसूरत तब होता है जब दो दिलों को कोई पसंद आने लगता है…एक लब्ज के सुनने पर जो मुस्कान होठों पे आती है "बबुवा" जो चमक आंखों में नजर आती है जैसे करोड़ी बिजलियां दौड़ने लगी हो आंखो में।।  जैसे एक हल्की आहट से तितली उड़ जाती है वैसे ही इश्क की शुरुवात भी हल्की सी आहट पे खिल जाती है।। मैं कैसे लिखूं इश्क के इस अहसास को जब दो दिलों में आहट होती है प्रेमी के दिल में एक अजब सी चंचलता होती है मन में,, लबों से निकले एक...

आंखों के मोती

तुमको पता है ना अब मैं रोता नहीं हूँ बस कभी कभी कुछ गाने सुनकर याद आ जाते हो तुम,फिर आंखें नशे में डूबकर सारी बातें खंगोल देती है,फिर पता नहीं कैसे छोटी छोटी बूंदें आंखों से झांक रही होती हैं मैं कहानियाँ सोच रहा होता हूँ  पता नहीं सारी कहानियों में तुम्हारे जैसे एक लड़की आ जाती है ,मुस्कुराता हूँ उसे देखकर कुछ लिख भी लिख लेता हूँ ,लेकिन खत्म होने के बाद उस कहानी के एक खामोशी सी रह जाती है लेकिन मैं अब रोता नहीं हूँ कुछ गाने हैं जो मुझे बेहद पसंद है  और क्यों पसंद है इसका जवाब शायद मुझे नहीं पता,बस जब सुनता हूँ उन्हें तो तुम्हे महसूस करने के बहाने ढूंढता हूँ,मुझे पता है जब तुम ये पढोगे तो तुम गानों के नाम जानना चाहोगे लेकिन माफ करना अभी से ही पता नहीं सकता पता है तुमको मजबूर हो जाती हैआंखे खुद से भर के आंसू इतने सारे फिर कुछ कह नहीं पाती मुझसे,और फिर कुछ बूंदे झांक रही होती है इन आँखों से मुझे नहीं पता हमारा ये रिश्ता सही था या नहीं लेकिन हां बस जितना आज कहा था ना उन कही बातों को याद रखना दिल से निकला हर लफ्ज़ एक दम सच है बाकी अभी क्या क्या कहूँ तुम्हारे बारे में,अपने प्यार के ब...

अधूरे से थोड़ा ज्यादा इश्क़

अधूरे से थोड़ा ज़्यादा इश्क़  सुनो, आज मेरे पास कहने के लिये आज भी कुछ नही है बस इसी बात पर हमेशा या रोज ही कहिये हमारी आपस मे थोड़ा-बहुत बहस व झगड़ा भी हो जाया करता था थोड़ा-बहुत नही उससे भी ज्यादा ।  मेरे जीवन में तुम पहली थी शायद आखिरी भी क्यो कि जो लम्हा हमने बिताये उसमे जिम्मेदारी,वफादारी,परवाह फिर कही जाकर स्नेह व प्रेम था जो भी था अटूट था,अभिन्न था,अतुलनीय था अकल्पनीय था । बिन बारात के तुम मेरी पत्नी बन गयी बिना सेहरा के मै तुम्हारा हमसफर,बिना डेट के हम दोनो डिनर भी गये ,बिना गाड़ी के हम दोनो लांग ड्राईव पर गये,तुम माँ भी बन गयी,तुमने कल्पना में मेरे बच्चो को भी पाले, तुम बुढ़ी भी हो गयी सब कुछ महसूस भी किया बातो बातो में,बात प्रेम की है तो उसे भी जान लो आजकल के आधुनिक शाहजहां, लैला-मजनू, हीर-रांझा की तरह नही जीवन संगिनी से भी बढ़कर थोड़ा सजावट भरे शब्दो मे कहे तो महादेव जी की पार्वती जी के भांति अर्धांगिनी के भाँति अंश भर ही सही अपने जीवन में दोनो ने एक दूसरे को स्थान दिया। आज कल के आशिको को शायद ही पता होगा या ऐसा महसूस होता भी है कि नही लेकिन हाँ मैने तुम्हे बिना साक...