प्रेम और हम लड़के ❤️
प्रेम और हम लड़के ❤ वैसे तो किसी लिंग विशेष से जोडकर नही देखना होता है प्रेम को परन्तु फिर भी सार्वजनिक जीवन मे एक भ्रांति है की लड़के ईतना कुछ महसूस नही करते है या उन्हें प्रेम के मायनो मे सिर्फ दैहिक पूर्ति ही सब कुछ लगती है या कहा जाता है और उन्हें अपनी काम ईच्छा तृप्त करने के लिए होने की संज्ञा दी जाती है.. परन्तु सत्य ये है की एक लडका जब प्रेम मे होता है और ये किसी स्त्री विशेष हेतु नही है..परिवार मे माता पिता या कोई भी हो सकता है जिसे वो प्रेम करता है तो एक सत्य तो ये है की वो कोई भी छोटी से छोटी चीज या घटना नही भूलता है चाहे फिर वो आपके अधरो के किनोरे पर लगी लाली हो या फिर आपकी वो निश्चल मुस्कराहट ❤ आपका बालो को सँवारना हो या चेहरे और नैनो पर आती बालो की लटो को हटाकर कान के पीछे लगा देना हो या आपका हाथ थामकर चलना हो या आपके कंगन की वो आवाज जो उसे कही ना कहीं अन्दर से झकझोर देती है और चाहे फिर वो आपके पायल की ध्वनि जिसको सुनकर वो आभास कर लेता है आपने निकट आ जाने का और जब कोई इस स्तर तक प्रेम मे हो तो आपकी खूशबू भी आपकी उपस्थिति का प्रमाण होती है.. उस लडके को जिसने कभी खुद से जिम्मे...