संदेश

हारा आदमी

   कहीं एक अधूरा ख्वाब है। जो आँखों में किरकिरी बन चुभता रहता है। कितना भी रो लो बहता ही नहीं है। बेचैनी नहीं जाती। ऐसा लगता है, ख्वाब टूटने के लिए ही देखे जाते हैं। मुकम्मल हो जायें तो तकदीर वरना उम्र भर की खलिश है। सीने में धड़कता दिल, धड़कना बंद कर दे तो सुकून हो जाये शायद। शायद किसी रोज ख्वाबों के मसान पर बैठे हम खुद को झोंक दे किसी वैराग्य की लपटों में, मुर्दा ख्वाबों के साथ जल जायें, अधूरे ख्वाब भी राख हो जायें। मगर ऐसा नहीं होगा। दिल नहीं मानेगा, बगावत करेगा। टूटे ख्वाबों की किरचें समेटे नये ख्वाब देखेगा और नये ख्वाबों के पीछे जिंदगी कुछ और बरस चलती जायेगी, सिलसिला चलता जायेगा। कहीं तो हजारों अधूरे ख्वाब हैं। जो देह पर खंरोचते रहते हैं। कितना भी मरहम लगाओ, जख्म भरता ही नहीं है... ये हारा हुआ आदमी मरता भी नहीं है। 💔

लौट आना

  तुम्हारे चले जाने की कमी मुझे आज भी महसूस होती है,ये जिंदगी तुम्हारे बिना सूनी और बेकार है, जैसे बिन सावन के ऋतु या बिन रंगों के कोई पर्व ।   मैं जीवन के सभी खूबसूरत लम्हे तुम्हारे साथ बिताना चाहता था, तुम्हारे बाहों में वे रातें गुजारनी थी जहाँ मैं तुम्हारे दिल की धड़कनों को सुन सकूँ। जिसके ज़र्रे-जर्रे पर सिर्फ और सिर्फ मेरा ही नाम लिखा हो। सुनो ज़िन्दगी ..❣️ लौट आना एक शाम फिर से,  सिर्फ मेरे लिए।  क्या तुम सुन रहीहो,  सिर्फ मेरे लिए ❣️❣️

बीतें लम्हें

  जीवन के रास्तों पर आगे बढ़ते जब कभी पलटता हूँ तो दिखते हैं दू….र पीछे छूटे अनगिनत दृश्य। ज़िंदगी कितनी दूर ले आई ! कितना कुछ रह गया, कितना कुछ फिसल गया! क्या-क्या भूलूँ और क्या-क्या याद करूँ! फिर भी     कुछ चीज़ें ऐसी होतीं हैं जो हम मरते दम तक नहीं भूल पाते। जब-जब नज़र डालिये, दिल के सुकोमल मृदुल कोनों में वे गरिमामयी मुस्कुराती हुई मिलतीं हैं।

ज़िन्दगानी

  म्र   ना   बड़ी   अजीब   चीज़   है  .... खासकर   ये  21  से  30  वाली  ... साला   हर   मिनट   में   अलग   रंग   ले   लेती   है   ।   ये   ऐसा   वक़्त   है जब   जिम्मेदारियां  ,  शौक   और   अस्तित्व   में   से   किसी    एक   को   चुनना   पड़ता   है   और   हम   मिडल   क्लास   लोग   आदर्श   बनना ही   चुन   पाते   हैं   या   हमें   चुनना   ही   पड़ता   है   हमारे   लिए   बाकी   ऑप्शन    जैसे   एक   शो   पीस   की   तरह   रखे   होते   हैं   ।   जब   पहली दफा   परिपक्वता   की   सीढ़ी   पार   कर  21  की   उम्र   पर   पहला   कदम   रखते   हैं   तो   चहक   रहे ...