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बीतें लम्हें

  जीवन के रास्तों पर आगे बढ़ते जब कभी पलटता हूँ तो दिखते हैं दू….र पीछे छूटे अनगिनत दृश्य। ज़िंदगी कितनी दूर ले आई ! कितना कुछ रह गया, कितना कुछ फिसल गया! क्या-क्या भूलूँ और क्या-क्या याद करूँ! फिर भी     कुछ चीज़ें ऐसी होतीं हैं जो हम मरते दम तक नहीं भूल पाते। जब-जब नज़र डालिये, दिल के सुकोमल मृदुल कोनों में वे गरिमामयी मुस्कुराती हुई मिलतीं हैं।

ज़िन्दगानी

  म्र   ना   बड़ी   अजीब   चीज़   है  .... खासकर   ये  21  से  30  वाली  ... साला   हर   मिनट   में   अलग   रंग   ले   लेती   है   ।   ये   ऐसा   वक़्त   है जब   जिम्मेदारियां  ,  शौक   और   अस्तित्व   में   से   किसी    एक   को   चुनना   पड़ता   है   और   हम   मिडल   क्लास   लोग   आदर्श   बनना ही   चुन   पाते   हैं   या   हमें   चुनना   ही   पड़ता   है   हमारे   लिए   बाकी   ऑप्शन    जैसे   एक   शो   पीस   की   तरह   रखे   होते   हैं   ।   जब   पहली दफा   परिपक्वता   की   सीढ़ी   पार   कर  21  की   उम्र   पर   पहला   कदम   रखते   हैं   तो   चहक   रहे ...