“तुम अब किसी और की हो”
तुम किसी और की हो अब ❣️ जिस जगह हमेशा मैं खुद को सोचता था , वहां अब कोई और तुम्हारे साथ नज़र आता है। तुम्हारे नाम के साथ अब किसी और का नाम जुड़ गया है। तुम अब किसी और की पहचान हो। सपने साथ भले ही हमने देखे थे, लेकिन हकीकत कोई और है आज, बंधन जो हमने जोड़ा था साथ, पर तुम्हारे साथ संबंध अब किसी और का है। तुम्हारे मन के किसी कोने में भले मैं हूं.. लेकिन तुम्हारे तन पर किसी और का अधिकार है। तुम्हारे सपनों में भले ही मेरा आना जाना हो, पर सुबह आंख खुलते ही तुम्हारे तुम्हारे दीदार का हक किसी और का है। सपने भले ही हमने सजाए थे, पर तुम्हारे साथ तस्वीर में खड़े होने का हक़ किसी और का है। मन पर भले किसी का भी अधिकार हो, स्वामित्व उसी का होता है, जिस रिश्ते को समाज स्वीकृति देता है।। हाय ये मेरा दर्द