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“तुम अब किसी और की हो”

तुम किसी और की हो अब ❣️ जिस जगह हमेशा मैं खुद को सोचता था , वहां अब कोई और तुम्हारे साथ नज़र आता है। तुम्हारे नाम के साथ  अब किसी और का नाम जुड़ गया है। तुम अब किसी और की पहचान हो। सपने साथ भले ही हमने देखे थे, लेकिन हकीकत कोई और है आज, बंधन जो हमने जोड़ा था साथ, पर तुम्हारे साथ संबंध अब किसी और का है। तुम्हारे मन के किसी कोने में भले मैं हूं.. लेकिन तुम्हारे तन पर किसी और का अधिकार है। तुम्हारे सपनों में भले ही मेरा आना जाना हो, पर सुबह आंख खुलते ही तुम्हारे तुम्हारे दीदार का हक किसी और का है। सपने भले ही हमने सजाए थे, पर तुम्हारे साथ तस्वीर में खड़े होने का हक़ किसी और का है। मन पर भले किसी का भी अधिकार हो, स्वामित्व उसी का होता है, जिस रिश्ते को समाज स्वीकृति देता है।। हाय ये मेरा दर्द

“मेरी कहानी”

मेरी कहानी ❤ मै जब कुछ थोडा बहुत समझ आता है तो लिखता हूँ और विषय मेरे स्वयं के चुने हुए होते है और मै शब्द भंडारण पर भी ध्यान देता हूँ यूँ तो परन्तु फिर भी किसी को बहुत अच्छा लगता है और कोई नजरदांज कर जाता है..ये अपनी अपनी पसंद का विषय है मै जब अपने जीवन को देखता हूँ तो मेरा सबसे पहले मेरा प्रेम मुझे याद आता है जो सिर्फ आत्मिक रहा क्यूँकि दैहिक पूर्ति की समझ और इसे उस स्तर पर ले जाने की बुद्धि का अभाव था मुझमे और मै जब कभी उसके साथ भी रहा जो समय बिताया साथ और बिना किसी व्यवधान के..तो भी मुझे शारीरिक पूर्ति का लेश मात्र भी मन मे नही आया..❤ आज परिपक्वता की ओर बढते समय वो सब बाते और वर्तमान हालात को देखकर खुद को जैसै ठगा सा महसूस करता हूँ की आखिर मेरे पास मौका(अपोरचुनिटी) जिसके दैहिक पूर्ति मे चांस कहा जाता है..मैनै वो सब क्यूँ नही किया था उसके साथ..प्रश्न आज के दौर मे स्वभाविक भी है.. परन्तु जब मै प्रेम को आधार मानकर सोचता हूँ तब लगता है की जो मेरा निर्णय था हालांकि जिसमें उसका भी साथ था वो उचित था क्यूँकि हमने कभी भी किसी के प्रेम को एक निश्चित दायरे और दैहिक पूर्ति से नही देखा था..वो स...

“An Open Letter For You”

आदमी या तो अमीर हो या फिर गरीब।  मिडिल क्लास आदमी सारी जिंदगी कन्फ्यूजन में जीता है। हम अपने छोटे से छोटे नुकसान को भी सीरियसली लेते हैं। तुम मेरी अब तक जी हुई जिंदगी का सबसे बड़ा नुकसान हो। नेचर से मैं अंडरस्टैंडिंग हूँ लेकिन मेरा इश्क़ अंडरस्टैंडिंग नहीं है। हद जिद्दी है। नुकसान बहुत बड़ा था सो हमसे सहा भी नहीं गया। लगता था जैसे जान निकल जाएगी। रह-रह के ऐसे दर्द उठता जैसे मेरे शरीर से मेरे आधे हिस्से को काट के अलग किया जा रहा है। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि तुम किसी और के साथ जा चुकी हो। तुम्हारे साथ मेरी जिंदगी एकदम स्क्रिप्टेड कहानी सी चल रही थी। मैंनें उन वक्तों में तुम्हारे बिना कुछ सोचा ही नहीं था। मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था। एकदम शून्यता थी। समझ ही नहीं आता था अब कैसे होगा सब ? मैं क्या-क्या करूँगा अकेले ?  मुझे पूरा भरोसा हो गया था तुमने मेरी जिंदगीरूपी क्रिकेट में एक छोर संभाल रखा है। तुम हो तो मुझ पर कोई दबाव नहीं है मैं खुल के जी सकता हूँ। इसी भरोसे ने मुझे थोड़ा लापरवाह बना दिया। थोड़ा नहीं शायद ज्यादा लापरवाह। जिसके चलते मैं किसी भी सिचुएशन में अपना 100 पर...