"ज़िन्दगी की कहानी"
तुम्हारा यूँ मेरे साथ “ कनक भवन ” का परिक्रमा करना.. एक दूसरे का हाथ थाम कर जिंदगी जीना “ लाल साहब दरबार ” में यूं दोनों का सामने बैठकर एक दूसरे को देखना वो हनुमान गढ़ी के सीढ़ियों पर साथ साथ चढ़ना.. वो दोनों का साथ में मंदिरों में जाना.. अयोध्या की गलियों में जिंदगी के सबसे बेहतरीन लम्हें बिताना.. दुआओं में तुमको मांगना... बजरंग बली से तुम्हारे लिए तुम्हारी खुशी चाहना... बाइक पर बैठकर यूँ मुझे कसकर पकड़ कर मेरे साथ स्टेशन से घर तक आना.. ऐसी तमाम यादों रोज रातों में आंखों के सामने ऐसी गुजरती है जैसे कि कल की बातें हो, नींद तुमको आ जाती होगी लेकिन मैं अब कभी कभी दवाओं का भी सहारा ले लेता हूँ... ऐसा नहीं है कि मैं डिप्रेशन या स्ट्रेस जैसे मामलों में पड़ चुका हूँ बस तुम्हारी आदत पड़ चुकी थी ना इसी लिया ऐसा होता होगा बाकी तुम्हे लगता है कि तुम्हारे लिए मेरी फीलिंग्स बदल गयी तो तुम्हारे और मुझमें फर्क ही क्या रह जायेगा...।। वो आखिरी मुलाकात की कुछ बातें अगर तुमको याद हो तो तब भी मेरी फीलिंग्स तुम्हारे साथ थी...हाँ मुझे लगता था कि ये सब गलत है लेकिन वो क्या है ना कि गलत सही ही देखा जाए तो फिर...